
स्वतंत्रता समानता भाईचारा को धर्म मानने वाले महापुरुष अंबेडकर जी :भाजपा
जयंती में जिलाभाजपा अध्यक्ष ने साझा की अंबेडकर से जुड़ी पुण्य स्मृतियाँ
रायगढ :- स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा को ही धर्म मानने वाले युग पुरुष डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती पर उनके ऐतिहासिक योगदान का स्मरण करते हुए जिला भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि उंन्होने पूरे जीवनकाल समानता के लिए संघर्ष करते हुऐ पूरा जीवन देश सेवा के लिए अर्पित कर दिया संविधान निर्माता के रूप में देश सदैव उनका ऋणी रहेगा आधुनिक भारत की नींव तैयार करने में उनकी भूमिका अहम रही हैं भारतीय संविधान के शिल्पी बाबा साहेब समाज के वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाने के लिये उनका संघर्ष हर आने वाली पीढ़ी के लिए मिशाल बना रहेगा भारतीय संविधान के निर्माता आधुनिक भारत के शिल्पकार एवं ज्ञान के प्रतीक भारत रत्न बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर के आदर्श श्रेष्ठ भारत के विकास के लिए पथ प्रदर्शक की भूमिका का निर्वहन करते रहेंगे l बाबा साहब डॉ. भीम राव अम्बेडकर एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने न केवल सदियों पुरानी अनेक रूढ़िवादी परम्पराओं को तोड़ने का साहस किया अपितु सामाजिक न्याय के ढांचे को मजबूती दी। सामाजिक बदलाव के जन आंदोलनों की कमान महिलाओं को सौपकर उनकी शक्ति को शिक्षा और संघर्ष से जोड़ा और संवैधानिक अधिकारों की राह दिखाई। राष्ट्र के निर्माण में देश को शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और संघर्ष के मुद्दों पर चिंतन करने का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने जीवन में शिक्षा और संघर्ष के माध्यम से बड़ी- बड़ी चुनौतियों को हल किया। भारत मां के इस वीर सपूत को भारत सहित विश्वभर में सामाजिक न्याय के पैरोकार के रूप में याद किया जाता है।
डॉ. अम्बेडकर और सबके बाबा साहब का जन्म 14 अप्रैल सन् 1891 को मध्य प्रदेश में महू नगर सैन्य छावनी में स्थित एक हिंदू महार जाति में हुआ था। उनका बचपन भारी भेदभाव के बीच गुजरा क्योंकि महार जाति को समाज में अछूत के रूप में देखा जाता था। तत्कालीन सामाजिक परिस्थितियां असमानता के वातावरण से भारी हुई थी। ऊंच नीच और सामाजिक भेदभाव के तंग माहौल में पले बढ़े बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने सामाजिक समानता का संवैधानिक ढांचा तैयार किया संविधान निर्माता के तौर पर प्रसिद्ध बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती हर साल 14 अप्रैल के दिन पूरे देश में श्रद्धा पूवर्क याद करते है । डाॅ. भीमराव अंबेडकर को भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है। उनका पूरा जीवन संघर्षरत रहा है। उन्होंने भारत की आजादी के बाद देश के संविधान के निर्माण में अभूतपूर्व योगदान दिया। बाबा साहेब ने कमजोर और पिछड़े वर्ग के अधिकारों के लिए पूरा जीवन संघर्ष किया। डॉ. अंबेडकर सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत और समतामूलक समाज के निर्माणकर्ता थे। अंबेडकर समाज के कमजोर, मजदूर, महिलाओं आदि को शिक्षा के जरिए सशक्त बनाना चाहते थे। यही वजह है कि उनकी जयंती भारत में समानता दिवस और ज्ञान दिवस के रूप में मनाई जाती है l अपने अपने जीवन में जात पात और असमानता का सामना करते हुए दलित समुदाय को समान अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष करते रहे l अंबेडकर ने ब्रिटिश सरकार से पृथक निर्वाचिका की मांग की थी, जिसे मंजूरी भी दे दी गई थी लेकिन गांधी जी ने इसके विरोध में आमरण अनशन किया तो अंबेडकर ने अपनी मांग को वापस भी लिया।
उनका राजनीतिक जीवन भी संघर्षों से भरा रहा l लेबर पार्टी का गठन करने के बाद वे संविधान समिति के अध्यक्ष बने lआजादी के बाद उंन्हे कानून मंत्री बनाया गया l बाॅम्बे नॉर्थ सीट से आजादी के बाद देश का पहला आम चुनाव भी लड़ा l बाबा साहेब राज्यसभा से दो बार सांसद चुने गए। बचपन से ही उन्हें आर्थिक और सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ा। स्कूल में छुआछूत और जाति-पाति का भेदभाव झेलना पड़ा। विषम परिस्थितियों के बाद भी अंबेडकर जी ने अपनी पढ़ाई पूरी की। ये उनकी काबलियत और मेहनत का ही परिणाम है कि अंबेडकर जी ने 32 डिग्रीया हासिल की। विदेश से डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद भारत में दलित समाज के उत्थान के लिए काम करना शुरू किया। संविधान सभा के अध्यक्ष बने और आजादी के बाद भारत के संविधान के निर्माण में अभूतपूर्व योगदान दिया। जीवन के हर पड़ाव पर संघर्षों को पार करते हुए उनकी सफलता हर किसी के लिए प्रेरणा है। बाबा साहेब की जयंती के दिन युवाओ से आह्वान करते हुए उमेश अग्रवाल ने कहा कि युवाओ को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए और उनके अनमोल विचारों को जीवन मे आत्म सात करना चाहिए l
डॉ भीम राव अंबेडकर ने एक ऐसे भारत की कल्पना की जहां सभी नागरिकों को कानून के तहत समान माना जाए.”